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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला जिसे नहीं जानता हूँ उसे जानता हूँ | माता पिता के आग्रह को न टालते हुए एक दिन राज्यश्री का उपभोग किया और फिर माता पिता की आज्ञा लेकर श्रमण भगवान महावीर के पास दीक्षा अङ्गीकार की। ग्यारह अङ्ग का ज्ञान पढ़ कर गुणरन संवत्सर तप किया । बहुत वर्षों तक संयम का पालन कर वे मोक्ष पधारे।
• गुणरत्न संवत्सर तप का यन्त्र तप के दिन पारणे के दिन
३२ १६।१६ २ ३० १५ १५२ २८ १४ १४२ २६ १३ १३२ २४ १२ १२२ ३३. ११ । ११ । ११ । ३ ३०१०१०।१०।३ २७/ TET/३ २४) ८८३
२१ ७ ७ ७३ २४] ६ । ६ । ६ । ६।४
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२४ ४ । ४ । ४ । ४ । ४ । ४ ६
२४३ | ३ । ३ । ३।३।३।३ ।३।८ २०२ ।२ । २ । २ । २।२।२।२।२।२।१० ३० शशशशशश१।११।११।११।१५ ३० 1809
विधि-पहिले महीने एकान्तर उपवास करना, दूसरे महीने वेले बेले पारणा करना, तीसरे महीने तेले तेले पारणा करना। इस प्रकार बढ़ाते हुए सोलहवें महीने में सोलह सोलह उपवास कर के पारणा करना । दिन को उत्कटुक आसन से बैठ कर सूर्य की
आतापना लेना और रात्रि को वस्त्र रहित हो वीरासन से ध्यान करना । इसमें तप के सब दिन ४०७ और पारणे के दिन ७३ हैं।