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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला वन्दन के लिए सुदर्शन सेठ का आगमन, काल सम्बन्धी प्रश्न, चल राजा का अधिकार, रानी प्रभावती के देखे हुए सिंह के स्वप्न का फल. गर्भ का रक्षण, पुत्र जन्म, पुत्र जन्मोत्सव, पुत्र का नामस्थापन (महावल), महावल का पाणिग्रहण, धर्मघोष अनगार का आगमन, धर्मश्रवण, महायल कुमार की प्रव्रज्या, संयम का पालन कर ब्रह्मदेवलोक में उत्पन्न होना, वहां दस सागरोपम की स्थिति को पूर्ण करके वाणिज्यग्राम में सुदर्शन सेठ रूप से जन्म लेना, सुदर्शन सेठ को जाति स्मरण ज्ञान होना और दीक्षा अङ्गीकार कर आत्म कल्याण करना।
(१२) उ०-आलम्भिका नगरी के ऋषिभद्र नामक धावक का अधिकार, पुद्गल नामक परिव्राजक को विभंगज्ञान, शेष अधिकार शिवराजर्षि के समान है।
वारहवां शतक (१) उ०-श्रावस्ती नगरी के शंख और पुष्कली (पोखली) श्रावकों का अधिकार, श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को वन्दन के लिए जाना, प्रशन पानादि का सेवन करते हुए पौषध करना, शंख का प्रतिपूर्ण पौषध करना. तीन प्रकार की जागरिकाओं का फल, क्रोध और निन्दा का दुष्फल । शंख श्रावक प्रव्रज्या लेने में समर्थ है या नहीं ? शेप वृत्तान्त ऋषिभद्र पुत्र की तरह है।
(२) उ०-कोशाम्बी नगरी, शतानीक राजा, मृगावती रानी, जयंती श्रमणोपासिका का वर्णन, भगवान् के पास प्रश्नोचर, जयंती श्रमणोपासिका ने प्रव्रज्या अङ्गीकार की।शेष वर्णन देवानन्दा की तरह है।
(३) उ०- रत्नप्रभा आदि सात नारकियों का वर्णन | श्री जीवाभिगम सत्र की भलामण ।