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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, चौथा भाग लोकपालों की अग्रमहिपियों का अधिकार, उनका परिवार । सभा में इन्द्र अपनी अग्रमहिषी के साथ भोग भोगने में समर्थ है या नहीं?
(६) उ०-शक्रन्द्र की सुधर्मा सभा की लम्बाई चौड़ाई आदि के विषय में प्रश्न । राजपनीय सूत्र में वर्णित सूर्याम देव की सभा की भलामण । (७-३४) उ०-उत्तरदिशा सम्बन्धी अट्ठाईस अन्तद्वीपों के २८ उद्देशे हैं। श्री जीवामिगम सूत्र की भलामण ।
ग्यारहवां शतक (१) उ०-इस शतक के बारह उद्देशों के नाप सूचक संग्रह गाथा, कमल का पत्ता एकजीवी है या अनेकजीवी ? इत्यादि विस्तृत अधिकार ।
(२) उ०-शालूक (कमल का कन्द) एक जीवी है या अनेकजीवी ?
(३-८) उ.-पलाश-पत्र, कुम्भिक वनस्पति, नालिका वनस्पति, पत्रपत्र, कर्णिका वनस्पति, नलिन वनस्पति एकजीवी है या अनेकजीवी ? इत्यादि प्रश्नोत्तर।
() उ०हस्तिनापुर का वर्णन, शिवराजा, शिवराजा का संकल्प, उसके पुत्र शिवभद्र' को राज्याभिषेक, शिवराजा की प्रव्रज्या, अभिग्रह, शिवराजर्षि का विभंगज्ञान, शिवराजर्षि का सात द्वीप समुद्र तक का ज्ञान, शिवराजर्षि का भगवान् महावीर के पास आगमन, प्रश्नोत्तर, तापसोचित उपकरणों का त्याग कर भगवान् के पास दीक्षा लेकर आत्मकल्याण करना।।
(१०) उ०-लोक के मेद, अधोलोक, ऊर्ध्वलोक और तियंगलोक । लोक के संस्थान आदि का विवेचन । लोक का विस्तार, जीव प्रदेशों का अल्पवहुत्व आदि।
(११) उ०-वाणिज्यग्राम, दतिपलाश चैत्य, भगवान् को
पास दीक्षा लेकर अधोलोक, अब
का विस्तार