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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
देव हुवा। कुछ समय तक संसार परिभ्रमण करके सिद्ध, बुद्ध यावत् मुक्त होगा।
(३४) उ०-कोई मनुष्य, मनुष्य, अश्व भादि को मारता हुआ मनुष्य और अश्व को मारता है या नोमनुष्य नोभश्व को मारता है ? प्रस, ऋषि आदि को मारने सम्बन्धी अनेक प्रश्नावच और वनस्पति आदि को हिलाते हुए वायुकाय को कितनी क्रिया लगती है ?
दसवाँ शतक (१) उ०-इस शतक के चौतीस उद्देशों के नामों की संग्रह गाथा, दस दिशाओं का विस्तार पूर्वक विवेचन । औदारिकादि पाँव शरीरों के संस्थान, अवगाहना आदि का प्रश्न । उत्तर के लिए • श्री पनवणा के 'श्रोगाहण संठाण' पद की भलामण ।
(२) उ०-संवत (संखुडा) असंधूत (मसंबुडा) को कौन सी क्रिया लगती है ? उचर के लिए सातवें शतक के पहले उद्देशे की मलामण। योनि के मेद, पनवणा के योनि पद की भलामण | वेदना कितने प्रकार की ? उत्तर के लिए दशा तस्कन्ध की भिक्खुपडिमा तक के अधिकार की भलामण । पाराधक विराधक का विचार ।
(३) उ०-देवता अपनी आत्मशक्ति से अपने से महर्द्धिक, समद्धिक और अन्पशृद्धिक देवतामों के कितने प्रावासों का उल्लंघन कर सकता है और उनके बीच में होकर निकल सकता है, इत्यादि प्रश्न । दौड़ता हुआ घोड़ा 'खुखु' शब्द क्यों करता है ? भाषा के आमंत्रणी, माज्ञापनी आदि बारह मेद।
(४) उ०-श्याम हस्ती अनगार का अधिकार, चमरेन्द्र,बलीन्द्र धरणेन्द्र, शक्रन्द्र, ईशानेन्द्र आदि इन्द्रों के त्रापस्त्रिंश देवों का अधिकार। (५) उ.-चमरेन्द्र, शकेन्द्र आदि इन्द्रों की तथा इनके सब