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श्री जेन सिद्धान्त बोन साह, चौथा भाग ।
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नवॉ शतक (१) उ०-इस शतक के ३४ उद्देशों के नाम की गाथा।. जम्बूद्वीप के संस्थान आदि के विषय में प्रश्न । उत्तर के लिए श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति की भलामण |
(२) उ०-जम्बूद्वीप में और लवण समुद्र में कितने चन्द्रमा हैं और उनका कितना परिवार है ? इत्यादि प्रश्न, उत्तर के लिए श्री जीवाभिगम सूत्र की भलामण ।
(३-३०) उ०-एकोरुक आदि २८ द्वीपों के नाम, उनकी लम्बाई चौड़ाई आदि का विस्तार पूर्वक विवेचन । समझने के लिए श्री जीवाभिगम सूत्र की भलामण । इन २८ द्वीपों के २८ उद्देशे हैं।
(३१)उ०-केवली से धर्मप्रतिपादकवचन सुन कर किसी जीव को धर्म का बोध होता है ? बोधि का कारण प्रत्रज्या, प्रव्रज्या का कारण ब्रह्मचर्य, ब्रह्मचर्य का हेतु संयम, संयम का हेतु संघर, संबर का हेतु शास्त्रश्रवण । केवली से धर्म प्रतिपादक वचन सुने बिना भी किसी जीव को धर्म की प्राप्ति होती है। असोचा केवली और उनके शिष्य, प्रशिष्यों द्वारा दूसरों को प्रवज्या देने आदि का प्रश्न ।
(३२) उ०-श्री पार्श्वनाथ भगवान के प्रशिष्य श्री गांगेय भनगार के मांगों सम्बन्धी प्रश्नों का विस्तृत विवेचन । श्री भमण भगवान महावीर स्वामी के पास गांगेय अनगार का चार महावत से पाँच महाव्रत ग्रहण करना।
(३३) उ०-ब्राह्मणकुण्ड ग्राम के निवासी ऋषभदत्त प्रामण और उसकी पत्नी देवानन्दा बामणी का अधिकार । जमाली का अधिकार अर्थात् जमाली की प्रव्रज्या, अभिनिष्क्रमण महोत्सव, प्रबजित होकर ज्ञान उपार्जन करना, फिर अपने आपको अरिहन्त, जिन, केवली बतलाना, भगवान् महावीर स्वामी से अलग विचरना । जमाली मर कर तेरह सागर की स्थिति वाला किल्विषिक