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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला सग्राम का वर्णन । वरुणनागनत्तुए नामक श्रावक की युद्ध के लिए तय्यारी, संग्राम में पहले वाण प्रहार करने वाले पर ही वाण प्रहार करने का अभिग्रह, युद्ध मे वरुण को सख्त प्रहार, युद्ध से वापिस लौट कर वरुण का संलेखना संथारा कर प्रथम सौधर्म देवलोक में जाना, देवलोक से चव कर महाविदेह में जन्म लेना
और वहाँ से मोक्ष में जाना। इसी तरह वरुण नागनत्त ए के बालमित्र का भी सारा वर्णन।
(१०)उ०-कालोदायी.शैलोदायी, शैवालोदायी, उदय, नायो. दय, नोदय, अन्यपालक, शैलपालक, शंखपालक, सुहस्ती भादि अन्य यूथिकों के नाम । उनका पञ्चास्तिकाय के विषय में सन्देह । मंगवान् महावीर स्वामी के पास कालोदायी का श्रागमन और पञ्चास्तिकाय के विषय में प्रश्न, पापकर्म अशुभ विपाक सहित होते हैं और कल्याणकारी कर्मकन्याण फलयुक्त होते हैं? क्या प्रचित्त पुद्गल प्रकाश करते हैं ?
आठवाँ शतक (१) उ०-पुद्गल के परिणाम । २४ दण्डक के परिणाम विषयक प्रश्न और विस्तार पूर्वक विवेचन | प्रयोगसा, विनसा और मिश्र परिणाम विषयक वर्णन और अल्प बहुत्व । ।
(२)उ०-वृश्चिकपाशीविष, मण्डूक आशीविष, उरग आशीविष प्रादि प्राशीविषों का वर्णन । छमस्थ दस स्थानों को नहीं जानता और देखता है। ज्ञान के मेद और विस्तार पूर्वक विवेचन जीव ज्ञानी है या अज्ञानी १ २४ दण्डक में यही प्रश्नोचर। ज्ञानलब्धि प्रादि लब्धि के दस मेद । ज्ञानलब्धि के पाँच मेद, दर्शन.लब्धि के तीन भेद, अज्ञान लब्धि के तीन भेद, चारित्रलब्धि के पाँच मेद, वीर्य्य लब्धि के तीन मेद, लब्धिवान् जीव ज्ञानी है याज्ञानीपाँच बानों का विषय नन्दीरव की भलामण। मति