________________
श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
मूल में विष्कम वाले हैं। भगवान ऋषभदेव और भरत चक्रवर्ती की अवगाहना ५०० धनुष थी। सौमनस, गंधमादन, विधु प्रभ और मालवन्त पर्वतों की ऊंचाई ५०० योजन तथा उद्वध'५०० कोस है। हरि और हरिसह को छोड़ कर बाकी सभी वक्षस्कार पर्वतों के कूट ५०० योजन ऊंचे और ५०० योजन लम्बाई चौड़ाई वाले हैं। बलकूट को छोड़ कर सभी नंदनकूट भी ५०० योजन ऊंचे तथा मूल में ५०० योजन लम्बाई चौड़ाई वाले हैं। सौधर्म और ईशानकल्प में प्रत्येक विमान ५०० योजन ऊंचा है।
सनत्कुमार और माहेन्द्रकल्प के विमान ६०० योजन ऊंचे हैं। चुलहिमवान पर्वत के ऊपरी अन्त से नीचे समतल ६०० योजन अन्तर पर है, इसी तरह शिखरीकूट में भी जानना चाहिए। पार्श्वनाथ भगवान् के पास ६०० वादिसम्पदा थी। अभिचन्द्र कुलकर की अवगाहना ६०० धनुष की थी। वासुपूज्य भगवान् ६०० पुरुषों के साथ दीक्षित हुए।
ब्रह्म और लान्तक कन्पों में विमानों की ऊंचाई ७०० योजन है, श्रमण भगवान महावीर के पास ७०० जिन तथा ७०० क्रिय लब्धिधारी मुनि थे, अरिष्टनेमि भगवान् ७०० वर्ष की केलिपर्याय पाल कर सिद्ध हुए, महाहिमवंतकूट के ऊपरी अन्त से महाहिमवंत वर्षधर पर्वत का सम भूमितल ७०० योजन अन्तर पर है, रुक्मिकूट भी इसी प्रकार जानना चाहिए।
महाशुक्र और सहस्रार कल्प में विमान ८०० योजन ऊ'चे हैं, रत्नप्रभा के पहले कांड में ८०० योजन तक वार्णव्यन्तरों के भूमिग्रह हैं, भगवान् महावीर के पास ८०० व्यक्ति अनुत्तरोववाई देवों में उत्पन होने वाले थे। रलप्रभा से ८०० योजन की ऊंचाई पर सूर्य की गति होती है। अरिष्टनेमि भगवान् के पास ८०० वादिसम्पदा थी।