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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
राजाओं के आवासपर्वतों की ऊँचाई १७२१ योजन है, रत्नप्रभा पृथ्वी से कुछ अधिक १७००० योजन ऊँचा उड़ने के बाद चारण लब्धि वालों की तिरछी गति होती है, चमर असुरेन्द्र का विगिच्छ कूट नामक उत्पात पर्वत १७२१ योजन ऊंचा है, बलि असुरेन्द्र का रुचकेन्द्र नामक उत्पात पर्वत १७२१ योजन ऊँचा है, १७ प्रकार का मरण, सूक्ष्मसम्पराय गुण स्थान में वर्तमान जीव १७ कर्मप्रकतियाँ बाँधता है, १७ पन्योपम तथा १७ सागरोपम की स्थिति वाले देव नथा नारकी जीव ।
१८ ब्रह्मचर्य, अरिष्टनेमि भगवान की उत्कृष्ट १८ हजार साधु सम्पदा. साधु साध्वियों के लिए सेवन अथवा परिहार करने योग्य १८ स्थान, आचाराङ्ग के १८ हजार पद हैं, १८ लिपियाँ, चौथे पूर्व अस्तिनास्ति प्रवाद में १८ वस्तु हैं. धूमप्रभा पृथ्वी की मोटाई एक लखि अठारह हजार योजन है, पोष मास में उत्कृष्ट १८ मुहूर्त की रात तथा आषाढ मास में उत्कृष्ट १८ मुहूर्त का दिन होता है, १८ पल्योपम तथा १८ सागरोपम की आयु वाले देव और नारकी जीव । ___ ज्ञातास्त्र के १६ अध्ययन, जम्बूद्वीप में सूर्य १६०० योजन अर्थात् अपने स्थान से सौ योजन ऊपर और अठारह सौ योजन नीचे तक प्रकाश देता है। शुक्र महाग्रह १४ नक्षत्रों के साथ 'उदित तथा अस्त होता है, जम्बूद्वीप की कलाएं योजन का १४वाँ भाग हैं, १९ तीर्थङ्करों ने गृहस्थावास तथा राज्य भोग करदीवाली, १पन्योपम तथा१६सागरोपम की आयु वाले देव तथा नारकी जीव।
२० असमाधिस्थान, मुनिसुव्रत भगवान् की अवगाहना २० धनुष, धनोदधि का बाहल्य २०हजार योजन, प्राणत नामक इन्द्र के २०हजार सामानिक देव हैं, नपुंसकवेदनीय फर्म की बन्ध- . स्थिति २० कोडाकोडी सागरोपम है, न पञ्चक्खाण पूर्व में २० वस्तु है,उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी का एक कालचक्र २० कोड़ा