________________
११२
श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला । दस स्थान । दस समाधि । दस असमाधि । दस प्रव्रज्या। दस . श्रमणधर्म । दस वैयावच्च । दस जीवपरिणाम | दस अजीवपरिथाम । (सू० ७०४-७१३)
। दस आकाश के अस्वाध्याय । दस औदारिक अस्वाध्याय । पञ्चेन्द्रिय जीवों की अहिंसा में दस संयम । दस सूक्ष्म । गंगा और सिन्धु आदि में मिलने वाली दस नदियाँ । दस राजधानियाँ । दीक्षा लेने वाले दस राजा ! मन्दर आदि पर्वतों की लम्बाई चौड़ाई। दिशाएं और उनके नाम । समुद्र तथा क्षेत्र आदि का विस्तार । दस क्षेत्र । पर्वतों की लम्बाई चौड़ाई । (सू० ७१४-७२६) ___ दस द्रव्यानुयोग । उत्पातपर्वतों की लम्बाई चौड़ाई । दस सौ योजन की अवगाहना वाले जीव । भगवान् सम्भवनाथ के दस लाख करोड़ सागरोपम बीतने पर भगवान् अमिनन्दन हुए। दस अनन्त । उत्पादपूर्व की दस वस्तुएं। अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व की दस चुल्लवस्तुएं । दस प्रतिसेवना । आलोचना के दस दोष । अपने दोषों की आलोचना करने वाले में दस गुण । पालोचना देने वाले के दस गुण । दस प्रायश्चित्त । दस मिथ्यात्व । भगवान् चन्द्रप्रम दस लाख पूर्व, धर्मनाथ दस लाख वर्ष और नमिनाथ दस हजार वर्ष पूर्णायु प्राप्त कर सिद्ध हुए। पुरुषसिंह वासुदेव एक हजार वर्ष की पूर्णायु प्राप्त कर छठी नरक में गए । नेमिनाथ भगवान् . तथा कृष्णवासुदेव दस धनुष की अवगाहना तथा एक हजार वर्ष प्रायु वाले थे। भवनवासी देव तथा उनके चैत्यवृक्ष । दस प्रकार का सुख । दस उपघात । दस विशुद्धि । (सू०७२७-७३८)
दस संक्लेश । दस असक्लेश । दस बल । दस सत्य । दस मृषा । दस सत्याभूषा । दृष्टिवाद के दस नाम । दस शस्त्र । दस दोष । दस विशेष । दस शुद्धवचनानुयोग । दस दान । दस गति। दस मुण्डित । दस संख्यान । दस पच्चक्खाण । (२०७३६-७४८)