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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला, पाठ दर्शन | काल की पाठ उपमाएं । भगवान् नेमिनाथ के शासन में आठवें पाट तक पाठ केवली हुए तथा भगवान के केवली . होने पर दो वर्ष बाद पाठ सिद्ध हुए भगवान महावीर के पास आठ राजाओं ने दीक्षा ली । पाठ आहार | आठ कृष्णराजियाँ। आठ लौकान्तिक देव । धर्मास्तिकाय आदि के आठ प्रदेश | भावी उत्सपिणी के प्रथम तीर्थङ्कर भगवान महापम के पास आठ राजा दीक्षित होंगे। कृष्ण की आठ अग्रमहिपियाँ । वीर्यपूर्व की पाठ वस्तुएं । (सू० ६१८-६२७) .
आठ गतियां । आठ योजन विस्तार वाले द्वीप । कालोदधि समुद्र का चक्रवाल विष्कम्भ आठ लाख योजन । पुष्कराद्ध का विष्कम्भ
आठ लाख योजन । प्रत्येक चक्रवर्ती का काकिणी रत्न आठ सुवर्ण जितना भारी होता है । मगध देश का योजन आठ हजार धनुष लम्बा होता है। पाठ वक्षस्कार पर्वत । चक्रवर्ती विजय आठ। आठ राजधानियां । सीता तथा सीतोदा महानदियों के किनारे होने वाले आठ वीर्थङ्कर । इन नदियों के किनारे होने वाली दूसरी पाठ बाते। इसी प्रकार द्वीप, समुद्र, नदियों आदि का वर्णन । (सू० ६२८-६४४ )
अष्टमी भिक्खुपडिमा। आठ प्रकार के संसारी जीव । सर्वजीव आठ । सयम पाठ। पृथ्वियां आठ । प्रयत्न करने योग्य आठ बातें। आठ सौ योजन की ऊँचाई वाले विमान । भगवान् अरिष्टनेमि की आठ सौ धादिपरिषत् । फेवलिसमुद्घात के आठ समय । भगवान् महावीर के शासन में अनुत्तर विमान में जाने वाले आठ सौ पुरुष । आठ पाणव्यन्तर । आठ चैत्य वृक्ष । रत्नप्रभा पृथ्वी के समभूमि भाग से आठ सौ योजन की ऊँचाई पर सूर्य की गति। आठ नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ योग । जम्बूद्वीप के द्वारों की ऊँचाई आठ योजन पुरुषवेदनीय की जघन्य बन्धस्थिति आठ वर्ष । यशस्कीर्ति नाम कर्म
और उच्चगोत्र की जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त । तेइन्द्रिय जीवों की कुल कोटि आठ लाख। आठ समय निवर्तित कर्म पुद्गल ।आठप्रदेशीस्कन्ध
नषवां स्थानक संभोगी को विसंभोगी करने के नौ स्थान | आचारांग सूत्र के प्रथम श्रतस्कन्ध के नौ अध्ययन ।