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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला सात मिनुप्रतिमाएं । सात पृथ्वियाँ । सात धनोदधि । सात घनवात सात तनुवात । सात श्राकाशान्तर । सात पृथ्वियों के नाम और गोत्र । सात बादरवनस्पतिकाय । सात संस्थान । सात भयस्थान। अग्रस्थ तथा केवली को पहचानने के सात चिह्न। (सू० ५४१-५५०)
सात मूल गोत्र प्रत्येक के सात सात भेद । सात मूल नय । सात स्वर । सात स्वर स्थान । सात जीवनिम्मत स्वर। सात अजीवनिःसत स्वर । सात स्वरों के शुभाशुभ लक्षण । सात स्वरों के ग्राम । प्रत्येक ग्राम की सात मर्छनाएं।सात स्वरों के स्थान, योनि, श्वास, आकार, दोष,गुण, वृत्त, भणितियो । कौन कैसा गाता है। स्वरमण्डल।
सात कायक्लेश । सात वास । सात वर्षधर पर्वत । सात महानदियाँ । धातकीखंड में सात वास, पर्वत और नदियाँ । पुष्कराई। में वास आदि । सात कुलकर तथा उनकी भार्याएं । सात कल्प. वृक्ष । सात दण्ड | चक्रवर्ती के सात सात रन । दुषमा तथा सुषमा काल आया हुआ जानने के सात चिह्न । सात संसारी जीव । सात पायुभेद । सात सर्वजीव । (सू० ५५०-५६२)
ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती सात धनुष की अवगाहना और सात सौ वर्ष की आयु प्राप्त कर सातवीं नरक में गए । मल्लिनाथ भगवान ने छः राजाओं के साथ दीक्षा ली। सात दर्शन | छमस्थ वीतराग द्वारा वेदने योग्य सात कर्म प्रकृतियाँ। छद्मस्थ द्वारा अज्ञय तथा प्रदर्शनीय सात बातें। भगवान महावीर की ऊँचाई सात रनियां । सात विकथाएं । आचार्य तथा उपाध्याय के सात अतिशय । सात संयम । सात असंयम सात प्रारम्भ । कोठे आदि में रखे हुए अलसी, सरसों आदि धान्य के बीजों की उत्कृष्ट स्थिति सात वर्षे। बादर अपकाय की उत्कृष्ट स्थिति सात हजार वर्षे । तीसरी नरक के नैरयिकों की उत्कृष्ट स्थिति और चौथी नारकी के नैरयिकों की जघन्य स्थिति सात सागरोपम । वरुण सोम और यम की सात सात अप्रमहिषियां । सात पल्योपम स्थिति वाले देव और देवियाँ । सात सौ, सात हजार देवों वाले विमान। सात सागरोपम स्थिति वाले देव ।