________________
४०
जो सेठिया जैन अन्यमाना
इसे अङ्गीकार कर सकता है। उस में नीचे लिखी आठ बातें होनी चाहिएं(१) सट्टी पुरिसजाते- वह साधु जिनमार्ग में प्रतिपादित तत्त्व तथा आचार में दृढ श्रद्धावाला हो। कोई देव तथा देवेन्द्र भी उसे सम्यक्त्व तथा चारित्र से विचलित न कर सकें। ऐसा पुरुषार्थी, उद्यमशील तथा हिम्मती होना चाहिए। (२) सच्चे पुरिसजाते- सत्यवादी और दूसरों के लिए हित वचन बोलने वाला। (३) मेहावी पुरिस जाते- शास्त्रों को ग्रहण करने की शक्तिवाला अथवा मर्यादा में रहने वाला। (४) बहुस्सुते- बहुश्रुत अर्थात बहुत शास्त्रों को जानने वाला हो । सूत्र, अर्थ और तदुभय रूप आगम उत्कृष्ट कुछ कम दस पूर्व तथा जघन्य नवमे पूर्व की तीसरी वस्तु को जानने वाला होना चाहिए। (५) सत्तिम-शक्तिमान् अर्थात् समर्थ होना चाहिए। तप, सत्त्व, सूत्र, एकत्व और बल इन पाँचों के लिए अपने बल की तुलना कर चुका हो। (६)अपाहिकरणे-थोड़े वस्त्र पात्रादिवाला तथा कलह रहित हो। (७) घितिमं- चित्त की स्वस्थता वाला अर्थात् रति, अरति तथा अनुकूल और प्रतिकूल उपसर्गों को सहने वाला हो। (८) वीरितसम्पन्ने- परम उत्साह वाला हो । (ठाणांग,सूत्र ५६४) ५८७- एकाशन के आठ आगार
दिन रात में एक ही बार एक आसन में बैठकर आहार करने को एकाशन या. एकासना पञ्चक्खाण कहते हैं। इसमें पाठ आगार होते हैं।