________________ श्री जैन सिद्धान्तं बोल संग्रह 415. 727- दस प्रकार के सर्व जीव (1) प्रथम समय नैरयिक (2) अप्रथम समय नैरयिक . (3) प्रथम समय तिर्यश्च (4) अप्रथम समय तिर्यच (5) प्रथम समय मनुष्य (6) अप्रथम समय मनुष्य . (7) प्रथम समय देव (E) अप्रथम समय देव ' (6) प्रथम समय सिद्ध (10) अप्रथम समय सिद्ध / (ठाणांग, सूत्र 771) ७२८-संसार में आने वाले प्राणियों के दस भेद (1) प्रथम समय एकेन्द्रिय (2) अप्रथम समय एकेन्द्रिय (3) प्रथम समय द्वीन्द्रिय (4) अप्रथम समय द्वीन्द्रिय (5) प्रथम समय त्रीन्द्रिय (6) अप्रथम समय त्रीन्द्रिय (7) प्रथम समय चतुरिन्द्रिय (8) अप्रथम समय चतुरिन्द्रिय (8) प्रथम समय पञ्चेन्द्रिय. (10) अप्रथम समय पञ्चेन्द्रिय / (टाणांग, सूत्र 771) 726- देवों में दस भेद - दस प्रकार के भवनवासी, आठ प्रकार के व्यन्तर, पाँच प्रकार के ज्योतिषी और बारह प्रकार के वैमानिकं देवों में प्रत्येक के दस दस भेद होते हैं। अर्थात् प्रत्येक देव योनि दस विभागों में विभक्त है। (1) इन्द्र- सामानिक आदि सभी प्रकार के देवों का स्वामी इन्द्र कहलाता है। (2) सामानिक-- आयु आदि में जो इन्द्र के बराबर होते हैं उन्हें सामानिक कहते हैं / केवल इन में इन्द्रत्व नहीं होता शेष सभी बातों में इन्द्र के समान होते हैं, बल्कि इन्द्र के लिए ये अमात्य, माता, पिता एवं गुरू आदि की तरह पूज्य होते हैं। (3) त्रायस्त्रिंश-- जो देव मन्त्री और पुरोहित का काम करते हैं