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भी सेठिया जैन प्रत्यमाला
७१३- दस प्रकार का शब्द (१) निर्हारीशब्द- आवाजयुक्त शब्द । जैसे घण्टा झालर आदि का शब्द होता है। (२) पिण्डिम शब्द-आवाज (घोष) से रहित शब्द।जैसे ढक्का (डमरू) आदि का शब्द होता है। (३) रूत शब्द-रूखा शब्द। जैसे कौए का शब्द होता है। (४) भिन्न शब्द- कुष्ट अर्थात् कोढ आदि रोग से पीड़ित पुरुष का जो कंपता हुआ शब्द होता है उसे भिन्न शब्द कहते हैं। (५) जर्जरित शब्द- करटिका आदि वाद्य विशेष का शब्द। (६) दीर्घ शब्द-दीर्घ वर्णों से युक्त जो शब्द हो, अथवाजो शब्द बहुत दूर तक सुनाई देता हो उसे दीर्घ शब्द कहते हैं। जैसे मेघादि का शब्द (गाजना)। .. (७) हस्ख शब्द-हस्व वर्णों से युक्त अथवा दीर्घ शब्द की अपेक्षा जो लघु हो उसे हस्ख शब्द कहते हैं। जैसे वीणा आदिकाशब्द । (D) पृथक् शब्द-अनेक प्रकार के वाद्यों (बाजों) का जो मिला हुमा शब्द होता है, वह पृथक् शब्द कहलाता है। जैसे दो शंखों का मिला हुआ शब्द। (8) काकणी शब्द- सूक्ष्म कण्ठ से जो गीत गाया जाता हैं उसे काकणी या काकली शब्द कहते हैं। . (१०)किंकिणीशब्द- छोटे छोटे घुघरे जो बैलों के गले में बाँधे
जाते हैं अथवा नाचने वाले पुरुष (भोपे आदि) अपने पैरों में बाँधते . हैं, उन घूघरों के शब्द को किङ्किणी शब्द कहते हैं।
(ठाणांग, सत्र ७०५) ७१४-संक्लेश दस ___ समाधि (शान्ति) पूर्वक संयम का पालन करते हुए मुनियों के चित्त में जिन कारणों से संक्षोभ (भशान्ति) पैदा हो जाता