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भी जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
नमुक्कारसहिय करने का पाठ सूरे उग्गए नमुकारसहिनं पचक्खाइ चाउम्विहं पि पाहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नस्थणाभोगेणं सहसागारेख वोसिरह।
नोट- अगर स्वयं पञ्चक्खाण करना हो तो 'पञ्चक्खाइ' की जगह 'पञ्चक्वामि' और 'बोसिरह' की जगह 'वोसिरामि' कहना चाहिए । दूसरे को पच्चक्खाण कराते समय अपर लिखा पाठ बोलना चाहिए। (२) पोरिसी, साढ पोरिसी पञ्चक्खाण-सूर्योदय से लेकर एक पहर (दिन का चौथा भाग)तक चारों आहारों का त्याग करने को पोरिसी पञ्चकवाण और डेढ़ पहर तक त्याग करने को साढ पोरिसी कहते हैं।
पोरिसी करने का पाठ पोरिसिं पचक्खाइ उग्गए सूरे चउब्विहं पि माहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नस्थणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणे सव्व समाहिवत्तियागारणं वोसिरह । __पोरिसी के आगारों की व्याख्या दूसरे भाग के बोल नं०४८३ में दी गई है।
नोट- मगर साढ पोरिसी का फच्चक्खाण करना हो तो 'पोरिर्सि' की जगह 'साढपोरिसिं' बोलना चाहिए। (३) पुरिम अवह पञ्चकवाण-सूर्योदय से लेकर दो पहर तक चारों आहारों का त्याग करने को पुरिमट्टपञ्चक्खाण कहते हैं और तीन पहर तक चारों श्राहारों का त्याग करने को अवह कहते हैं।
पुरिमड्ड करने का पाठ सूरे उग्गए पुरिमड्ढे पञ्चक्खाइचउब्विहं पिमाहार असणं पाणं खाइमसाइमं मन्नस्थणाभोगेणं सहसागारेणं