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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
संहनन वालों के ही होता है। पहिले स्थविरकल्पी भी इसे करते थे, लेकिन अब विच्छिन्न हो गया है। (५) सागार प्रत्याख्यान-जिस प्रत्याख्यान में कुछ आगार अर्थात् अपवाद रक्खा जाय, उन आगारों में से किसी के उपस्थित होने पर त्यागी हुई वस्तु त्याग का समय पूरा होने से पहिले भी काम में ले लीजाय तो पञ्चक्रवाण नहीं टूटता। जैसे नवकारसी,पोरिसी आदि पञ्चक्खाणों में अनाभोग वगैरह आगार हैं। (६) अणागार प्रत्याख्यान-- जिस पञ्चक्रवाण में महत्तरागार * वगैरह आगार न हों । अनाभोग और सहसाकार तो उस में
भी होते हैं क्योंकि मुहँ में अाली वगैरह के अनुपयोग पूर्वक पड़ जाने से आगार न होने पर पचक्खाण के टूटने का डर है। (७) परिमाणकृत- दत्ति, कवल, घर, भिक्षा या भोजन के द्रव्यों की मर्यादा करना परिमाणकृत पञ्चश्वाण है। (८)निरवशेष-अशन, पान,खादिम और स्वादिम चारों प्रकार के आहार का सर्वथा त्याग करना निरवशेष पञ्चक्खाण है। (8) संकेत पञ्चक्रवाण- अंगूठा, मुहि, गांठ वगैरह के चिह्नको लेकर जो त्याग किया जाता है, उसे संकेत प्रत्याख्यान कहते हैं। (१०) अद्धापत्याख्यान-- श्रद्धा अर्थात् काल को लेकर जो त्याग किया जाता है, जैसे पौरुषी, दो पौरुषी वगैरह ।।
(ठाणांग सूत्र ७४८ ) (पंचाशक ५ वि० ) ( भगवती शतक ७ उद्देशा २ ) ७०५-अद्धा पच्चक्खाण के दस भेद
कुछ काल के लिए अशनादि का त्याग करना अद्धा प्रत्याख्यान (पञ्चक्खाण) है । इसके दस भेद हैं(१) नमुक्कारसहिय मुहिसहिय पञ्चश्वाण-सूर्योदय से लेकर दो घड़ी अर्थात् ४८ मिनिट तक चारों आहारों का त्याग करना नमुक्कारसहिय मुडिसहिय पञ्चवाण है।