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श्री सेठिया जैन प्रन्यमाना
चन्द्र और सूर्य का विमान पृथ्वीकायिक होने से इनकी गिनती
औदारिक सम्बन्धी अस्वाध्याय में की गई है। (८) पतन- पतन नाम मरण का है। राजा, मन्त्री, सेनापति या ग्राम के ठाकुर की मृत्यु हो जाने पर अस्वाध्याय माना गया है । राजा की मृत्यु होने पर जब तक दूसरा राजा गद्दी पर न बैठे तब तक किसी प्रकार का भय होने पर अथवा निर्भय होने पर भी अस्वाध्याय माना गया है। दूसरे राजा के होजाने पर और शहर में निर्भय की घोषणा (ढिंढोरा) हो जाने पर भी एक अहोरात्र अर्थात् एक दिन रात तक अस्वाध्याय रहता है। अतः उस समय तक स्वाध्याय नहीं करना चाहिये ।
ग्राम के किसी प्रतिष्ठित पुरुष की या अधिकार सम्पन्न पुरुष की अथवा शय्यातर और अन्य किसी पुरुष की भी उपाश्रय से सात घरों के अन्दर यदि मृत्यु हो जाय तो एक दिन रात तक अस्वाध्याय रहता है अर्थात् स्वाध्याय नहीं किया जाता है। ___यहाँ पर किसी प्राचार्य का यह भी मत है कि ऐसे समय में स्वाध्याय बन्द करने की आवश्यकता नहीं है, किन्तु धीरे धीरे मन्द स्वर से स्वाध्याय करना चाहिए, उच्च स्वर से नहीं क्योंकि उच्च स्वर से स्वाध्याय करने पर लोक में निन्दा होने की सम्भावना रहती है। (8) राजविग्रह- राजा, सेनापति, ग्राम का ठाकुर या किसी बड़े अर्थात् प्रतिष्ठित पुरुष के आपसी मल्ल युद्ध होने पर या अन्य राजा के साथ संग्राम होने पर अखाध्याय माना गया है। जिस देश में जितने समय तक राजा आदि का संग्राम चलता रहे तब तक अस्वाध्याय काल माना गया है। (१०) मृत औदारिक शरीर- उपाश्रय के समीप में अथवा उपाश्रय के अन्दर मनुष्यादि का मृत औदारिक शरीर पड़ाहुमा