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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
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महीने बीस दिन लगते हैं। इस तप का आकार इस प्रकार है
__महा सर्वतो भद्र तप
वीरकृष्णा आर्या ने इस तप का सूत्रोक्त विधि से आराधन कर एक मास की संलेखना करके अन्तिम समय में केवलज्ञान, केवलदर्शन उपार्जन कर मोक्ष पद को प्राप्त किया। (८) रामकृष्णा रानी- कोणिक राजा की छोटी माता और श्रेणिक राजा की आठवीं रानी का नाम रामकृष्णा था । दीक्षा धारण कर आयो चन्दनबाला की आज्ञा प्राप्त कर वह भद्रोत्तर प्रतिमा तप अङ्गीकार कर विचरने लगो। इस तप में पाँच से शुरू कर नौ उपवास तक किये जाते हैं । मध्य में आये हुए अङ्क
को लेकर अनुक्रम से पंक्ति पूरी की जाती है। इस तरह पाँच । पंक्तियों को पूरी करने से एक परिपाटी पूरी होती है । इसकी , एक परिपाटी में १७५ दिन तपस्या के और २५ दिन पारणे । के, सब मिला कर २०० दिन अर्थात् छः महीने बीस दिन लगते हैं। चारों परिपाटियों को पूर्ण करने में दो वर्ष दो महीने और बीस दिन लगते हैं। इस तप का आकार इस प्रकार है