________________
३४४
भी सेठिया जैन ग्रन्थमाला
marwmAAAA
नवमी भितु पडिमा अङ्गीकार कर विचरने लगी। इसमें क्रमशः नौ दत्तियाँ ग्रहण की। इस में कुल ८१ दिन लगे। कुल ४७५ दत्तियाँ हुई। इसके बाद भिक्ष की दसवीं पडिमा अङ्गीकार की। इसमें प्रथम दस दिन तक एक दत्ति आहार और एक दत्ति पानी ग्रहण किया। इस प्रकार बढ़ाते हुए अन्तिम दस दिन में दस दत्ति आहार और दस दत्ति पानी की ग्रहण की। इसके आराधन में १०० दिन लगे और कुल दत्तियाँ ५५० हुई। इस मकारसूत्रोक्त विधि के अनुसार भितु पडिमा काआराधन किया। तत्पश्चात् अनेक प्रकार का तप करती हुई विचरने लगी।
जब सुकृष्णा आर्या का शरीर कठिन तप आचरण द्वारा अति दुर्बल हो गया तब एक मास की संलेखना करके केवल ज्ञान और केवलदर्शन उपार्जन कर अंतिम समय में सिद्ध पद (मोक्ष) को प्राप्त किया। (६) महाकृष्णा-कोणिक राजा की छोटी माता और श्रेणिक राजा की छठी रानी का नाम महाकृष्णा है। उसका सारा वर्णन काली रानी की तरह ही है । तप में विशेषता है । इसने लघु सर्वतोभद्र तप किया। इसमें प्रथम एक उपवास किया फिर बेला तेला, चोला और पचोला किया। फिर इन पाँच अङ्कों के मध्य में आये हुए अङ्क से अर्थात् तेले से शुरू कर पाँच अङ्क पूणे किये अर्थात् तेला, चोला, पचोला, उपवास और बेला किया। फिर बीच में आये हुए पाँच के अङ्क से शुरु किया अर्थात् पचोला, उपवास, बेला, तेला और चोला किया। बाद में बेला, तेला, चोला, पचोला और उपवास किया। तत्पश्चात् चोला, पचोला उपवास, बेला और तेला किया । इस तरह पहली परिपाटी पूर्ण की। इसमें तप के ७५ दिन और पारणे के २५ दिन कुल एक सौ दिन लगे । चारों परिपाटियों को पूर्ण करने में ४००