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श्री जैन सिताम्स पोल संग्रह
कृष्णा आर्या ने ग्यारह वर्षदीता पर्याय का पालन कर और एक मास की संलेखना करके केवलज्ञान, केवल दर्शन उपाजेन कर अन्त में मोक्ष पद को पास किया। (५) सुकृष्णा रानी- सुकृष्णा रानी भी कोणिक राजा की छोटी माता और श्रेणिक राजा की पाँचवीं रानी है। इसका पूर्व अधिकार काली रानी के समान है । तप में विशेषता है। वह इस प्रकार है- सुकृष्णा आर्या भिक्षु की सातवीं प्रतिमा (पडिमा) अङ्गीकार कर विचरने लगी । प्रथम सात दिन में एक दत्ति आहार और एक दत्ति पानी ग्रहण किया । भिक्षा देते हुए दाता के हाथ से अथवा पात्र से अव्यवच्छिन्न रूप से अर्थात् चीच में धारा टूटे बिना एक साथ जितना आहार या पानी साधु के पात्र में गिरे उसे एक दत्ति कहते हैं। बीच में जरासी भी धारा खंडित होने पर दूसरी दत्ति गिनी जाती है।
दूसरे सात दिनों में दोदत्ति आहार और दो दत्ति पानी ग्रहण किया । इस प्रकार तीसरे सप्तक में तीन तीन, चौथे सप्तक में चार चार, पाँचवें सप्तक में पाँच पाँच, छठे सप्तक में छः छः और सातवें सप्तक में सात सात दत्ति आहार और पानी ग्रहण किया।
सातवीं भिक्षु पडिमा को पूर्ण करने में ४६ दिन लगे, जिसकी कुल १६६ दत्तियाँ हुई। इस पडिमा की सूत्रोक्त विधि अनुसार आराधना कर आर्या चन्दनबाला के पास से आठवीं भिक्षु पडिमा करने की आज्ञा प्राप्त कर आठवीं भिक्षु पडिमा करने लगी । इस पडिमा में पहले आठ दिन एक दत्ति आहार और एक दत्ति पानी ग्रहण किया। द्वितीय अष्टक में दो दत्ति आहार और दो दत्ति पानी । इस प्रकार आठवें अष्टक में आठ दत्ति आहार और पाठ दत्ति पानी ग्रहण किया। इस में कुल ६४ दिन लगे और सब दत्तियाँ २८८ हुई। तत्पश्चात्