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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
सदालपुत्र- किस अभिप्राय से आप श्रमण भगवान् महावीर को महासार्थवाह कहते हैं ? गोशालक- श्रमण भगवान महावीर स्वामी संसार रूपी अटवी में नष्ट भ्रष्ट यावत् विकलाङ्ग किये जाने वाले बहुत से जीवों को धर्म का मार्ग बता कर उनका संरक्षण करते हैं और मोक्ष रूपी महानगर के सन्मुख करते हैं । इस लिए भगवान् महावीर स्वामी महासार्थवाह हैं। गोशालक- देवानुप्रिय ! क्या यहाँ महा धर्मकथी (धर्मोपदेशक) पधारे थे ? सदालपत्र- आप महाधर्मकथी शब्द का प्रयोग किसके लिए कर रहे हैं ? गोशालक-महाधर्मकथी शब्द का प्रयोग श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के लिए है। सद्दालपुत्र-श्रमण भगवान् महावीर को श्राप महाधर्मकथी किस अभिमाय से कहते हैं ? गोशालक-संसाररूपी विकट अटवी में मिथ्यात्व के प्रबल उदय से सुमार्ग को छोड़ कर कुमार्ग (मिथ्यात्व) में गमन करने वाले कर्मों के वश संसार में चक्कर खाने वाले प्राणियों को धर्मकथा कह कर यावत् प्रतिबोध देकर चार गति वाले संसार से पार लगाने वाले श्रमण भगवान् महावीर स्वामी हैं । इस लिए उन्हें महाधर्मकथी (धर्म के महान् उपदेशक) कहा है। गोशालक- सद्दालपुत्र ! क्या यहाँ महानिर्यामक पधारे थे ? सद्दालपुत्र- श्राप महानिर्यामक किसे कहते हैं ? गोशालक- श्रमण भगवान् महावीर स्वामी को। सदालपुत्र- श्रमण भगवान् महावीर को आप किस अभिप्राय से महानिर्यामक कहते हैं ?