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________________ ३१२ श्री सेठिया जैन प्रम्बमाला तूं मार्तध्यान करता हुआ अकाल में ही मृत्यु को प्राप्त होगा । देव ने इस प्रकारदो बार तीन बार कहा किन्तु चुलनीपिता जरा भी भयभ्रान्त नहीं हुआ तब देव ने वैसा ही किया। उसके बड़े लड़के को मारकर तीन तीन टुकड़े किये। कड़ाही में उबाल कर चुलनीपिता . श्रावक के शरीर को खून और मांस से सींचने लगा। चुलनीपिता श्रावक ने उस असह्य वेदना को समभाव पूर्वक सहन किया। उसे निर्भय देख कर देव श्रावक के दूसरे और तीसरे पुत्र की भी घात कर उनके खून और मांस से श्रावक के शरीर को सींचने लगा किन्तु चुलनीपिता अपने धर्म से विचलित नहीं हुआ तब देव कहने लगा कि हे अनिष्ट के कामी चुलनीपिता श्रावक ! यदि तूं अपने व्रत नियमादि को नहीं तोड़ता है तो अब मैं देव गुरु तुल्य पूज्य तेरी माता को तेरे घर से लाता हूँ और इसी तरह उसकी भी घात करके उसके खून और मांस से तेरे शरीर को सींचंगा। देव ने एक वक्त दो वक्त और तीन वक्त ऐसा कहा तब श्रावक देव के पूर्व कार्यों को विचारने लगा कि इसने मेरे बड़े, मझले और सब से छोटे लड़के को मार कर उनके खून और मांस से मेरे शरीर को सींचा । मैं इन सब को सहन करता रहा। अब यह मेरीमाता भद्रासार्थवाही, जो कि देव गुरु तुल्य पूजनीय है, उसे भी मार देना चाहता है। यह पुरुष अनार्य है और अनार्य पाप कर्मों का आचरण करता है। अब इस पुरुष को पकड़ लेना ही अच्छा है। ऐसा विचार कर वह उठा किन्तु देव तो आकाश में भाग गया । चुलनीपिता के हाथ में एक खम्भा आगया और वह जोर जोर से चिल्लाने लगा। उस चिल्लाहट को सुन कर भद्रा सार्थवाही वहाँ आकर कहने लगी कि पुत्र ! तुम ऐसे जोर जोर से क्यों चिल्लाते हो। तब चुलनीपिता श्रावक ने सारा वृत्तान्त अपनी माता भद्रा सार्यवाही से
SR No.010510
Book TitleJain Siddhanta Bol Sangraha Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhairodan Sethiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1942
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size17 MB
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