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श्री सेठिया जैन प्रन्थमाला
अनशन के दूसरी तरह से और भी भेद किये जाते हैं- इत्वरिक तप के छः भेद- श्रेणी तप, प्रतर तप, घन तप, • वर्ग तप, वर्गवर्ग तप, मकीर्णक तप । श्रेणी तप आदि तपश्चर्याएं भिन्न भिन्न प्रकार से उपवासादि करने से होती हैं। इनका विशेष स्वरूप इसके दूसरे भाग छठे बोल संग्रह के बोल नं० ४७६ में दिया गया है । यावत्कथिक अनशन के कायचेष्टा की अपेक्षा I दो भेद हैं। सविचार (काया की क्रिया सहित अवस्था) अविचार (निष्क्रिय) | अथवा दूसरी तरह से दो भेद-सपरिकर्म (संथारे की अवस्था में दूसरे मुनियों से सेवा लेना) और अपरिकर्म (सेवा की अपेक्षा रहित) अथवा निहारी और अनिहारी ये दो भेद भी हैं जो ऊपर बता दिये गये हैं ।
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कनोदरी तप के १४ भेद
ऊनोदरी तप के दो भेद - द्रव्य ऊनोदरी और भाव ऊनोदरी । द्रव्य ऊनोदरी के दो भेद - उपकरण द्रव्य ऊनोदरी और भक्त - पान द्रव्य कनोदरी । उपकरण द्रव्य ऊनोदरी के तीन भेद- एक पात्र, एक वस्त्र और जीर्ण उपधि । भक्तपान द्रव्य ऊनोदरी के सामान्यतः ५ भेद हैं- आठ कवल प्रमाण आहार करना अल्पाहार ऊनोदरी । बारह कवल प्रमाण आहार करना उपार्द्ध ऊनोदरी। १६ कवल प्रमाण आहार करना अर्द्ध ऊनोदरी । २४ कवल प्रमाण आहार करना प्राप्त (पौन) ऊनोदरी । ३१ कवल प्रमाण आहार करना किञ्चित् ऊनोदरी और पूरे ३२ कवल प्रमाण आहार करना प्रमाणोपेत आहार कहलाता है । भाव ऊनोदरी के सामान्यतः ६ भेद हैं- अल्प क्रोध, अल्प मान, अल्प माया, अल्प लोभ, अल्पशब्द, अल्प झञ्झ (कलह ) । भिक्षाच के ३० भेद
(१) द्रव्य -- द्रव्य विशेष का अभिग्रह लेकर भिक्षाचर्या करना ।