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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
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ध्यान करते हुए तीर्थङ्कर गोत्र बाँधा । (४) पोटिल अनगार - अनुत्तरोववाई मूत्र में पोटिल अनगार की कथा आई है। हस्तिनागपुर में भद्रा नाम की सार्थवाही का एक लड़का था । बत्तीस स्त्रियाँ छोड़कर भगवान महावीर का शिष्य हुआ । एक महीने की संलेखना के बाद सर्वार्थ सिद्ध नामक विमान में उत्पन्न हुआ । वहाँ से चक्कर महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होगा और मोक्ष प्राप्त करेगा। • यहाँ बताया गया है कि वे तीर्थडूर होकर भरत क्षेत्र से ही सिद्धि । . प्राप्त करेंगे। इस से मालूम होता है ये पोट्टिल अनगार दूसरे हैं।
(५) दृढायु- इनका वृत्तान्त प्रसिद्ध नहीं है । । ( ६-७.) शंख और पोखली (शतक) श्रावक । ___ चौथे बारे में जिस समय भगवान् महावीर भरत क्षेत्र में भव्य प्राणियों को प्रतिबोध दे रहे थे, उस समय श्रावस्ती नाम की एक नगरी थी। वहाँ कोष्ठक नाम काचैत्य था। श्रावस्ती नगरी में शंख वगैरह बहुत से श्रमणोपासक रहते थे।वे धन धान्य से ' सम्पन्न थे,विद्या बुद्धि और शक्ति तीनों के कारण सर्वत्र सन्मानित : थे। जीव अजीव आदि तत्वों के जानकार थे। • . शंख श्रावक की उत्पला नाम की भार्या थी। वह बहुत • सुन्दर, सुकुमार तथा सुशील थी । नव तत्त्वों को जानती थी। .., श्रावक के व्रतों को विधिवत् पालती थी। उसी नगरी में पोखली
नाम का श्रावक भी रहता था । बुद्धि, धन और शक्ति से सम्पन्न ' था। सब तरह से अपरिभूत तथा जीवादि तत्वों का जानकार था। ___ एक दिन की बात है, श्रमण भगवान् महावीर विहार करते
हुए श्रावस्ती के उद्यान में पधारे। सभी नागरिक धर्म कथा सुनने • के लिए गए । शंख आदि श्रावक भी गए। उन्होंने भगवान्
को वन्दना की, धर्म कथा सुनकर बहुत प्रसन्न हुए। भगवान्