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नवां बोल संग्रह
६२४- भगवान् महावीर के शासन में
तीर्थकर गोत्र बाँधने वाले जीव नौ जिस नाम कर्म के उदय से जीव तीर्थङ्कर रूप में उत्पन्न हो उसे तीर्थङ्कर गोत्र नामकर्म कहते हैं। __ भगवान महावीर के समय में नौव्यक्तियों ने तीर्थङ्कर गोत्र बाँधा था। उनके नाम इस प्रकार हैं(१) श्रेणिक राजा। (२) मुपाश्वे- भगवान् महावीर के चाचा। (३) उदायी-कोणिक का पुत्र । कोणिक के बाद उसने पाटलि पुत्र में प्रवेश किया । वह शास्त्रज्ञ और चारित्रवान् गुरु की सेवा किया करता था । आठम चौदस वगैरह पर्यों पर पोसावगैरह किया करता था। धर्माराधन में लीन रहता और श्रावक के व्रतों को उत्कृष्ट रूप से पालता था। किसी शत्रुराजा ने उदायी का सिर काट कर लाने वाले के लिए बहुत पारितोषिक देने की घोषणा कर रक्खी थी। साधु के वेश में इस दुष्कर्म को सुसाध्य समझ कर एक अभव्य जीव ने दीक्षा ली । बारह वर्ष तक द्रव्य संयम का पालन किया। दिखावटी विनय आदि से सब लोगों में अपना विश्वास जमा लिया।
एक दिन उदायी राजा ने पोसा किया। रात को उस धूर्त साधुने छुरी से राजा का सिर काट लिया । उदायो ने शुभ