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संस्कृति भि
श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह
४२६ - पुद्गल के छः भेद
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पूरण, गलन धर्मवाले रूपी द्रव्य को पुद्गल कहते हैं ।
इसके छ: भेद हैं:
(१) सूक्ष्म सूक्ष्म - परमाणु पुद्गल ।
(२) सूक्ष्म - दो प्रदेश से लेकर सूक्ष्म रूप से परिणत अनन्त प्रदेशों का स्कन्ध |
(३) सूक्ष्म बादर - गंध के पुद्गल ।
(४) बादर सूक्ष्म - वायुकाय का शरीर ।
(५) बादर — ओस वगैरह अपकाय का शरीर ।
बादर बादर - अग्नि, वनस्पति, पृथ्वी तथा त्रसकाय के जीवों का शरीर ।
सूक्ष्मसूक्ष्म और सूक्ष्म का इन्द्रियों से अनुभव नहीं हो सकता । इन दोनों में सिर्फ परमाणु या प्रदेशों का भेद है । सूक्ष्मसूक्ष्म में एक ही परमाणु होता है और वह एक ही आकाश प्रदेश को घेरता है । सूक्ष्म में परमाणु अधिक होते हैं और आकाश प्रदेश भी अनेक । सूक्ष्मवादर का सिर्फ घ्राणेन्द्रिय से अनुभव किया जा सकता है और किसी इन्द्रिय से नहीं । बादरसूक्ष्म का स्पर्शनेन्द्रिय से । बादर का चक्षु और स्पर्शनेन्द्रिय से । बादर बादर का सभी इन्द्रियों से ।
( दशवैकालिक नियुक्ति ४ अध्ययन गा० २ )
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४२७ – उपक्रम के छः भेदः
जिस प्रकार कई द्वारवाले नगर में प्रवेश करना सरल होता है, उसी प्रकार शास्त्ररूपी नगर के भी कई द्वार होने पर प्रवेश