________________ श्रावक के बारह व्रतों का अत्यन्त महत्व पूर्ण स्थान है / इस पुस्तक में उन्हीं व्रतों को अच्छी तरह समझाया गया है / त्यागी और संयमी जैन भाइयों के लिए यह पुस्तक परमोपयोगी है / मूल्य 3) मात्र आनुपूर्वी- इसमें पानुपूर्वी को कण्ठस्थ याद करने की बहुत ही सरल और प्रासान विधि बतलाई गई है / आनुपूर्वी को कण्ठस्थ याद कर गुणने से चित्त एकाग्र हो जाता है। चित्त की एकाग्रता महान् लाभ और कल्याण का कारण है / मूल्य दो पैसा गुणविलास-सुन्दर-सुन्दर उपदेशिक सवैया, सज्झाय, लावणी एवं स्तवनों का उपयोगी संग्रह / इसमें भावना विलास, मध्य मंगल, चौवीस तीर्थकर, साधुवर्णन आदि सवैये हैं। भगवान् ऋषभदेव,नेमिनाथ पार्श्वनाथ तथा स्थूलिभद्र आदि महापुरुष एवं राजमती, चन्दनबाला आदि आदि महासतियों के गुणग्राम की लावणियां हैं। साथ ही सन्त मुनिराजों के गुणग्राम की लावणियां भी हैं। प्रकाशक-प्रेमचंद एमरचंद चीकानेर / मूल्य |) नीचे लिखे थोकड़े टिप्पणियों एवं विस्तार सहित उपलब्ध हैं:तेतीस बोल का थोकडा पच्चीस बोल का थोकडा लघुदण्डक का थोकड़ा पाँच समिति तीन गुप्ति का थोकड़ा कर्म प्रकृति का थोकड़ा ज्ञान लब्धि का थोकड़ा चौदह गुणस्थान का थोकडा रूपी अरूपी का थोकडा गतागत का थोकडा सम्यक्त्व के बोल * རྟརྡ རྡརྡརྟཇ རྡ ད