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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
घृणित वस्तुओं से भरे इस औदारिक शरीर में इन का क्या परिणाम होगा ? ऐसे गन्दे शरीर में आप लोग आसक्ति क्यों कर रहे हैं? आत्मा को नीचे गिराने वाले कामभोगों को छोड़िए। क्या आप को याद नहीं है जब हम जयन्त विमान में रहे थे और उस से पहिले मनुष्य भव में एक साथ रहने की प्रतिज्ञा की थी?" यह सुनकर सभी राजाओं को जातिस्मरण हो गया। ___ इस के बाद मल्लिकुँवरी ने कहा- मैं संसार के भय से दीक्षा लेने वाली हूँ। आप लोग क्या करेंगे? उन्होंने भी दीक्षा लेने की इच्छा प्रकट की। इस पर मल्लिस्वामिनी ने कहा- यदि यह बात है तो अपने पुत्रों को गद्दी पर बैठा कर मेरे पास चले आओ। राजाओं ने बात मान ली । इसके बाद मल्लिस्वामिनी उन्हें लेकर कुम्भकराजा के पास गई। सभी राजाओं ने कुम्भक के चरणों में गिर कर उस से क्षमा मांगी । कुम्भक ने भी प्रसन्न होकर उन सब का सत्कार किया।
एक वर्ष तक महादान देकर पौष सुदी एकादशी, अश्विनी नक्षत्र में अहभत्त करके भगवान् मल्लिनाथ ने छः राजा, बहुत से राजकुमार तथा राजकुमारियों के साथ दीक्षा ली । उन के साथ तीन सौ पुरुषों की बाह्यसम्पदा तथा तीन सौ महिलाओं की आभ्यन्तर परिषद् थी।
छहों राजा उत्कृष्ट करनो करके सिद्ध हुए। भगवान् मल्लिनाथ भी हजारों जीवों को प्रतिबोध देकर सिद्ध बुद्ध तथा मुक्त हुए।
(ठाण ग सूत्र ५६४) ५४४- श्रेणियाँ सात
जिस के द्वारा जीव और पुद्गलों की गति होती है ऐसी आकाश प्रदेश की पंक्ति को श्रेणी कहते हैं । जीव और पुद्गल एक स्थान से दूसरे स्थान श्रेणी के अनुसार ही जा सकते हैं,