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भी जैन सिद्धान्त बोल संग्रह ।
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(६) मण्डव- मण्डु की सन्तानपरम्परा से चलने वाला गोत्र । (७) वशिष्ठ- वाशिष्ठ की सन्तानपरम्परा । छठे गणधर सथा आर्य सुहात्ती वगैरह । इन में प्रत्येक गोत्र की फिर सात सात शाखाएं हैं। उन का विस्तार ठाणांग सूत्र में है।
(ठाणांग सूत्र ५५१) ५५३- भगवान् मल्लिनाथ आदि एक साथ
दीक्षा लेने वाले सात। नीचे लिखे सात व्यक्तियों ने एक साथ दीक्षा ली थी। (१) भगवान् मल्लिनाथ- विदेहराज की कन्या। (२) प्रतिबुद्धि- साकेत अर्थात् अयोध्या में रहने वाला
इक्ष्वाकु देश का राजा। (३) चन्द्रच्छाय- चम्पा में रहने वाला अगदेश का राजा। (४) रुक्मी-- श्रावस्ती का निवासी कुणालदेश का राजा । (५) शङ्ख- वाणारसी में रहने वाला काशी देश का राजा। (६) अदीनशत्रु- हस्तिनागपुर निवासी कुरुदेश का राजा । (७)जितशत्रु-काम्पिल्य नगर का स्वामी पश्चालदेश का राजा।
भगवान् मल्लिनाथ के पूर्व भव के साथी होने के कारण इन छः राजाओं के ही नाम दिए गए हैं । वैसे तो भगवान् के साथ तीन सौ स्त्री और तीन सौ पुरुषों ने दीक्षा ली थी। इन छ: राजाभों की कथाएं ज्ञाता सूत्र प्रथम श्रुतस्कन्ध के आठवें अध्ययन में नीचे लिखे अनुसार आई हैं-- ___ जम्बूद्वीप, अपरविदेह के सलिलावती विजय को वीतशोका राजधानी में महाबल नाम का राजा था। उसने छः बचपन के साथियों के साथ दीक्षा ली । दीक्षा लेते समय उसे साथी मनगारों ने कहा जो तप आप करेंगे वही हम करेंगे। इस कार सभी साथियों में एक सरीखा तप करने का निश्चय