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भी सेठिया जैन प्रन्यमाला
५४१- शक्रन्द्र की सेना तथा सेनापति
शक्रन्द्र की सात प्रकार की सेना है और सात सेनापति हैं। (१) पादातानीक-पैदल सेना । द्रुमसेनापति । (२) पीठानीक- अश्वसेना । सौदामिन् अश्वराज सेनापति । (३) कुंजरानीक- हाथियों की सेना। कुन्थु हस्तिराज सेनापति। (४) महिषानीक-भैंसों की सेना । लोहितान सेनापति । (५) रथानीक- रथों की सेना। किन्नर सेनापति ।। (६) नाटयानीक- खेल तमाशा करने वालों की सेना ।
अरिष्ट सेनापति । (७) गन्धर्वानीक- गीत, वाद्य आदि में निपुण व्यक्तियों की
सेना । गीतरति सेनापति । इसी प्रकार बलीन्द्र, वैरोचनेन्द्र आदि की भी भिन्न भिन्न सेनाएं तथा सेनापति हैं । इनका विस्तार ठाणांग सूत्र में है।
(ठाणांग सूत्र ५८२) ५४२- मूल गोत्र सात
किसी महापुरुष से चलने वाली मनुष्यों की सन्तानपरम्परा को गोत्र कहते हैं । मूल गोत्र सात हैं(१) काश्यप- भगवान् मुनिसुव्रत और नेमिनाथ को छोड़ कर बाकी तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती, सातवें गणधर से लेकर गणधर तथा जम्बूस्वामी आदि इसी गोत्र के थे। (२)गौतम-बहुत से क्षत्रिय,भगवान मुनिसुव्रत और नेमिनाथ, नारायण और पद्म को छोड़ कर बाकी सभी बलदेव और वासुदेव, इन्द्रभूति आदि तीन गणधर और वैरस्वामी गौतम गोत्री थे। (३) वत्स- इस गोत्र में शय्यम्भवस्वामी हुए हैं। (४) कुत्सा- इसमें शिवभूति वगैरह हुए हैं। (५) कौशिक- षडुलूक वगैरह।