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बोल नम्बर
४०६
[ ४५ ] विषय
बोल नम्बर | विषय भवस्थिति
३१ | भिन्न पिण्ड पातिक भव्य द्रव्य देव ४२२ भुज परिसर्प भाङ्गिक
३७३ भूति कर्म भाण्ड चार
२६४ । भेद भाई के समान श्रावक १८४ | भोग प्रतिघात भार प्रत्यवरोहणता विनय के भोगान्तराय चार भेद
२३८
४०४
१२६
३८८
भाव
३१२
भाव
२१० मन्छ के पांच प्रकार भाव इन्द्र के तीन भेद १२ मच्छ की उपमा से भिक्षा लेने भाव उनोदरी
२१ वाले भिक्षुक के पांच प्रकार ४११ भाव दुःख शय्या के चार मतिज्ञान (आभिनिबोधिक प्रकार २५५ ज्ञान)
१५ भाव देव
मतिज्ञान के चार भेद भावना चार
मति ज्ञानावरणीय ३७८ भाव निक्षेप
मत्सरता (मात्सर्य) भाव प्रतिक्रमण ३२६ मद्य
२६१ भाव प्राण की व्याख्या और मनुष्य के तीन भेद भद
| मनुष्य सम्बन्धी उपसर्ग के भी भाव शुद्ध
चार प्रकार भाव समकित
मनुष्य आयु बन्ध के चार भावेन्द्रिय
कारण भावेन्द्रिय के दो भेद २५ | मनोगुप्ति भाषा के चार भेद २६६ मनोदुष्प्रणिधान भाषा समिति
६२३ | मनोयोग