________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह ४-पानी के बीच में चलने वाला मच्छ मध्यचारी है। ५-पानी में सब प्रकार से चलने वाला मच्छ सर्वचारी है। (ठाणांग 5 उद्देशा 3 सूत्र 454) ४११-मच्छ की उपमा से भिक्षा लेने वाले भिक्षुक के पाँच प्रकार हैं(१) अनुस्रोत चारी (2) प्रतिस्रोत चारी (3) अन्त चारी (4) मध्य चारी (5) सर्वस्रोत चारी। १--अभिग्रह विशेष से उपाश्रय के समीप से प्रारम्भ करके क्रम से भिक्षा लेने वाला साधु अनुस्रोत चारी भिक्षु है / २-अभिग्रह विशेष से उपाश्रय से बहुत दूर जाकर लौटते हुए भिक्षा लेने वाला साधु प्रतिस्रोत चारी है। ३-क्षेत्र के पार्श्व में अर्थात् अन्त में भिक्षा लेने वाला साधु अन्तचारी है। ४-क्षेत्र के बीच बीच के घरों से भिक्षा लेने वाला साधु मध्य चारी है। ५--सर्व प्रकार से भिक्षा लेने वाला साधु सर्वस्रोत चारी है। (ठाणांग 5 उद्देशा 3 सूत्र 454) ४१२-पाँच स्थावर कायः-- पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और वनस्पति के जीव स्थावर नाम कर्म का उदय होने से स्थावर कहलाते हैं। उनकी काय अर्थात् राशि को स्थावर काय कहते हैं।