________________ 367 श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह साध्य के रहने के स्थान को पक्ष कहते हैं / जैसे: इस पर्वत में अग्नि है / यह प्रतिज्ञा वचन है / यहाँ अमि साध्य है क्योंकि इसे सिद्ध करना है और पर्वत पक्ष है क्योंकि साध्य अग्नि को हम पर्वत में सिद्ध करना चाहते हैं। (2) हेतुः-साधन के कहने को हेतु कहते हैं / जैसे-'क्योंकि यह धूम वाला है' / यहाँ धूम, साध्य अमि को सिद्ध करने वाला होने से साधन है और साधन को कहने वाला यह वचन हेतु है। 3) उदाहरण:--व्याप्ति पूर्वक दृष्टान्त का कहना उदाहरण है। जैसे--जहाँ जहाँ धृम होता है वहाँ वहाँ अनि होती है, जैसे रसोई घर / जहाँ अग्नि नहीं होती वहाँ धूम भी नहीं होता। जैसे:-तालाब / जहाँ साध्य और साधन की उपस्थिति और अनुपस्थिति दिखाई जाती है वह दृष्टान्त है / जैसे:-रसोई घर और तालाब। ___दृष्टान्त के अन्वय और व्यतिरेक की अपेक्षा दो भेद हैं / जहाँ साधन की उपस्थिति में साध्य की उपस्थिति दिखाई जाय वह अन्वय दृष्टान्त है। जैसे:-रसोई घर / जहाँ साध्य की अनुपस्थिति में साधन की अनुपस्थिति दिखाई जाय वह व्यतिरेक दृष्टान्त है / जैसे: तालाब / (4) उपनयः-पक्ष में हेतु का उपसंहार करना उपनय है। जैसे: यह पर्वत भी धूम वाला है। (5) निगमनः नतीजा निकाल कर पक्ष में साध्य को दुहराना