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[ ३४ ] विपय
बोल नम्बर विषय वोल नम्बर चारशुभ और चार अशुभ । चारित्र धर्म
१८ गण
२१३ चारित्र धर्म के दो भेद २० चार इन्द्रियाँ प्राप्यकारी हैं २१४ चारित्र की व्याख्या और भेद ३१५ चार विनय प्रतिपत्ति २२६ ' चारित्र पुलाक चार भावना
२४६ चारित्र प्रायश्चित्त चार बन्धों का स्वरूप समझाने चारित्र में राग के लिये मोदक (लड्डू) का चारित्र मोहनीय दृष्टान्त
२४८ चारित्र मोहनीय के दो भेद २६ चार स्थान से हास्य को उत्पत्ति २५७ चारित्र विराधना चार प्रकार का नरक का चारित्राचार आहार
२६० चारित्राराधना चार प्रकार का तिर्यञ्च का चारित्रेन्द्र आहार
२६१ चिन्ता स्वप्न दर्शन ४२१ चार प्रकार का मनुष्य का चौमासी उद्घातिक ३२५ आहार
२६२ चौमासी अनुद्घातिक चार भाण्ड (पण्य वस्तु) २६४ चौमासे के पिछले सत्तर दिनों चार व्याधि
२६५ में विहार करने के पांच चार पुगल परिणाम २६६ । कारण चार प्रकार से लोक की चौमासे के प्रारंभ के पचास व्यवस्था है
२६७ दिनों में विहार करने के पाँच चार कारणों से जीव और कारण पुद्गल लोक के बाहर जाने में असमर्थ हैं चारित्र १६५, छविच्छेद
३०१ चारित्र कुशील ३६६ | छेद सूत्र चार
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