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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
को विद्यमान योजन परिमाण कूप के बालाग्रादि से उपमा दी जाती है ।
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असत् की सत् से उपमा:- अविद्यमान वस्तु की विद्यमान से उपमा दी जाती है । जैसे: वसन्त के समय में जीर्णप्रायः, पका हुआ, शाखा से चलित, काल प्राप्त, गिरते हुए पत्र की किसलय (नवीन उत्पन्न पत्र ) के प्रति उक्ति:
" जैसे तुम हो वैसे हम भी थे और तुम भी हमारे जेसे हो जा" इत्यादि ।
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उपरोक्त वार्तालाप किसलय और जीर्णपत्र के बीच में न कभी हुआ और न होगा । भव्य जीवों को सांसारिक समृद्धि से निर्वेद हो । इस आशय से इस वार्तालाप की कल्पना की गई है ।
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" जैसे तुम हो वेसे हम भी थे" इस वाक्य में किसलय पत्र की वर्तमान अवस्था की उपमा दी गई है। किसलय उपमान है जो कि विद्यमान है । और पाण्डु पत्र की अतीत किसलय अवस्था उपमेय है । जो कि अभी विद्यमान है । इस प्रकार यहाँ असत् की सत् से उपमा दी गई है । " तुम भी हमारी तरह हो जाओगे" इस वाक्य में भी पाण्डु पत्र की वर्तमान अवस्था से किसलय पत्र की भविष्य कालीन स्था की उपमा दी गई है । पाण्डुपत्र उपमान है जो कि विद्यमान है । किसलय की भविष्यकालीन पाण्डु अवस्था उपमेय है । जो कि अभी मौजूद नहीं है । इस प्रकार यहाँ पर भी असत् की सत् से उपमा दी गई है ।
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