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आभार प्रदर्शन
★★★ सर्व प्रथम मैं भारत भूपण, पण्डित रन, शनावधानी मुनि श्री रत्नचन्द्रजी महाराज, जैनधर्म दिवाकर, साहित्य रत्न उपाध्याय श्री आत्मारामजी महाराज तथा परम प्रतापी पूज्य श्री हुक्मीचन्द्रजी महाराज की सम्प्रदाय के आचार्य पूज्य श्री जवाहिरलालजी महाराज के मुशिष्य पं० मुनि श्री पन्नालालजी महाराज ( ऊंटाला वाले) इन धर्म गुरुओं का आभारी हूँ, जिन्होंने कृपा पूर्वक अपना अमूल्य ममय देकर इस ग्रन्थ की हस्त लिग्विन प्रति का अवलोकन करके उचिन
और उपयोगी परामर्श प्रदान किए हैं। इन पूज्य मुनिवरों के इम हम्त लिखित प्रति को पढ़ जाने के बाद मुझे इस ग्रन्थ के विषय में विशेष वल प्रतीत होने लगा है और मैं इतना साहम मंचित कर सका हूँ कि अपने इस प्रयास को निम्मंकोच भाव से पाठकों के सामने रख सकूँ । अत एव यदि पाठकों की ओर से भी उक्त मुनिराजों के प्रति आभार प्रदर्शन करूँ तो सर्वथा उचित ही होगा।
इस ग्रन्थ के प्रणयन में मैं तो उपलक्ष्य मात्र हूँ। इसके लेखन, मंपादन, संकलन, अनुवाद, अवलोकन, विवेचन और व्याख्या आदि का अधिकांश प्रत्यक्ष कार्य तो उदयपुर निवासी श्रावक श्रीयुत् पं० रोशनलालजी चपलोत, बी. ए., न्याय तीर्थ, काव्य नोर्थ, सिद्धान्त तीर्थ, विशारद का किया हुआ है । इनके इस कार्य में मेरा भाग मार्ग प्रदर्शन भर का रहा है। इस अमूल्य और साङ्गोपाङ्ग सहायता के लिए यदि मैं उन्हें धन्यवाद देने की प्रथा का अनुमरण करूँ तो वह उनके सहयोग का उचित पुरस्कार न होगा । इस लिए