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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab
१८९५. पार्श्वनाथ-पूज
Opening :
सुद्ध तीर्थ पवित्र निर्मल पुण्य हिमकर शीतले । मिलि सुगध जगत पावन जन्म दाघ विनासने । परम श्री जिनपाद पकज विगत कल्मषदूषणम् । श्री पार्श्वनाथमह यजेवर फणि लाक्षन भूषणम् । जलादिगधाक्षतचारुपुष्प, नैवेद्यसद्दीपकधूपफलार्घदान । श्री लक्ष्मिसेनादिसुरासुरेश, श्री पार्शनाथ परिष्यमामि ।। इति पार्शनाथ पूजा सपूर्णम् ।
Closing !
Colophon ।
१८६६ प्रभाती मगल
Opening :
जै जै जिन देवन के देवा, सुरनर सकल कर तुम सेवा । अद्भुत है प्रभु महिमा तेरी, वरणी न जाय अलप मत मेरी ।। निस्तार के तुम मुल स्वामी, बडे भागनि पाइये । जन रूपचद चिंता कहा जब सरण चरण न आइयं ।।
Closing :
Colophon
इति श्री मगल जीत समाप्तम् ।
१८९७. प्रतिष्ठा-तिलक
Opening :
अथ बिंबजिनेन्द्रस्य कर्त्तव्य लक्षणान्वितम् । ऋज्यावत सुसस्थान तरूणाग दिगम्बरम् ॥१॥ ये केचिज्जिन ........ नरेन्द्राच्चितान् ।।१०।।
Closing । Colophon:
इति श्री पडिताचार्य श्री नरेन्द्रसेन विरचित प्रतिष्ठातिलक
समाप्तम् ।