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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah
Closing , Colophon :
ॐ ह्री अतिवीरनामेभ्यो अर्घम् । सम्पूर्णम् ।
१८२३. मगल
Opening : Closing ·
पणविवि पच ... · जगत मगल गावई ॥१॥ वदन उदर अवगाह कलस गति जानिए · · जगत मगल
गाईए॥
Colophon।
इति दुतीय मगल सम्पूर्ण ।
१८२४ मत्रविधि
Opening
ते चतुर्दशी पुष्पार्क हो त्यारितादिने उपवास कृत्वा जाप्य १२००० त्रिसध्य अर्द्ध रात्री रव ४८०००। अनेन मत्रेण होम कुर्यात् सहस्र १२००० । शत्रुनाश भवति । अनेन मत्रेण गजेन्द्रनरेन्द्र सर्वशत्रुवशीकरण पूर्वमवस्मरणीयम् ।
Closing .
Colophont , इति विधि सम्पूर्णम् ।
१८२५. मोक्षपैडी
Opening ।
Closing !
इक्क समै रूचिवत नौ गुरुवरकै सुनु मल्ल । जो उफ अदर चेतना वहै उसाडी अल्ल ।। भव थिति जिन्ह की छुटि गई तिन्ह को यह उपदेश । कहत वनारसीदास यौं मूढ न समुझे लेस । इति मीक्षपड़ी समाप्तम् ।
Clolophon: