________________
श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली १८८ Shri Devakumai Jain Oriental Library, Jain Sıdhhant Bhavan, Arrah
१६१२ समन्तभद्र स्तोत्र
Opening :
Closing:
नताखडलमौलीना यत्पादनखमडलम । खडेन्दुशेखरीभूत नमस्तस्मै स्वयभुवे ।। अई मिद्धाचार्य उपाध्याय सर्वसाधूनिह । पचनमस्कारो भवभवे मम सुह धंतु ॥ ॥ इति समतभद्रस्तोत्र सपूर्णम् ।
Colophon ;
१६१३ सम्मेदशिखर-स्तुति
मैं आयो सरणते तेरे।
Opening Closing
मो करणी पे नजर न कीजे छीमा करो प्रभु मेरे। दीनबन्धु तुम पतित उवारण सेवक चरण गहो रे । में आयो० ॥
इति मम्मेदशिखर की प
१६१४ सम्मेदावल स्तोत्र
Opening । Closing .
सम्मेदशैल भक्तिभरेण नौमि ॥१॥ तीर्थागमुत्तम तीर्थं निर्वाणपदमग्निम्म् । स्थानानामुत्तम स्थान सम्मेताद्रे सम नहि ॥२३॥ इति सन्मेदाचलमहात्मस्तोत्र समाप्तम् । श्रीरस्तु सवत् १८२८८ आषाढ द्वितीय वदि अप्टम्या आदित्यवारे लिखत लक्ष्मणपुर मध्ये श्रीपार्श्वनाथचैत्यालये। शुभ भवतु ।
Colophon :
१६१५ सन्ध्या
Opening :
वामे वहुत कुशान
प्रणव गायत्या रात्रा कुर्यात् ।