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Catalogue of Sanskrit Prakrit, Apabhranśa & Hindi Manuscripts ( Stotra )
Closing :
Cloophon : विशेष
Opening Closing :
Colophoni
Opening
Closing :
Colophon.
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हैन अवतार नहि वार वार श्रावक
सब साधून ने भाई ||१२||
इति द्वादशानुप्रेक्षा समाप्नम् ।
परकेपक्षा भी मकलित है।
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१५५८ पद
जाके बदन पर
नयन
इति ।
मुक्ति महामुनि || माधुरी ॥
भोग नजोग, तं मिल तं तजि लोनी जोग ।
में
१५५५. पद
प्रभ जी तुम तीन जानधारी,
मध्ये होने ग्रावारी.
कर जोडी गाव नाए नमो वेरी वेरी |
हे घोर पोट हरिये गितावी से अप मेरी ॥ टेक ॥
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जो तेरी उत्तम साग्रि ।
तजी तुम राजुल मी नारी,
आये हो गिर के तनधारी,
धर्मवदनी रामचद गावं जिन शरण लिया,
हम को छोड़ चले सखी री साजना ||५|| इति नम्पूर्णम् ।
१५५६. पद
Opening प्रात भयो सुमिरि सुमिरि देव पुण्यकाल जात रे चूक्त जे औसर ते पीछे पछितात रे ॥ प्रा० ॥
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