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१०५ Catalogue of Sanskrit. Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manscripts
( Mantra, Karinakan la)
जाप सवालक्ष १२५००० दशाम होम पचामृत को करे तो प्रभाव वृद्धि होय । इति विजयप्रतापमत्र सम्पूर्णम् ।
Colopaon
१३३०. सरस्वतीमत्र
Opening
Closing ! Colophon वगेप
___ॐ ह्री श्री वाग्वादनी सरस्वती मारदा वुद्धिवर्द्धनी देवी
कुरु कुरु स्वाहा । इति । मत्र अप्टोतर शत नित्य जपेत् विद्या प्रकास होइ । नहीं है। इनमे मात्र एक ही मत्र है ।
१३३१. सरस्वतीमत्र
Opening !
ॐ ह्री श्री यली ब्ली वद वद वाग्वादिनी भगवति सरस्वति परमब्रह्म मुखीदते श्रुतागिदवि द्वादशागेयो नम । मम विद्याप्रमाद कुरु तुभ्य नम ||१॥ सही अर्ह णमोपादाणुसारिण ॥८॥ ॐ ह्री अहं णमो सभिन्न सोदराणम् ॥६॥ नही है।
Closing .
Colophon
१६३२. सरस्वतीस्तोत्र
Opening :
ॐ ऐ ह्री श्री मत्ररूपे विवुधगननुनेदेवदेवेन्द्रवद्य। .... - मनसि सदा मारदे तिष्ठदेवी ॥१॥ ॐ ह्री क्ली क्रू श्री ही रो नम लक्ष जापते सिद्धि होय । इति सारदा स्तुति ।
Closing . Colophon .