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________________ १०४ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrab Closing . ॐ णमो अरिहताण णमोसिद्धाण णमो आयरियाण । णमोउमझायाण णमो लोए सबसाहूग । इति पचपद जपेत् । जिनवरदासस्य पठननिमित्त लिखित टीकारामेन आरानगर मध्ये शुभम्भूयात् लेखक-पाठकयो आयुरारोग्यमस्तु । Colophon . १३२७ सामयिकविधि Opening . Closing : विधिपूर्वक पडिलेय उपगरण प्रमार्जित स्थानकइ स्थापनाचार्य घापितई ज्ञानपचमी तपग्रहण कुजमालाविधिः ॥२७॥ पोसहपडिकमणा वावण विधि ।।२८।। इत्यादि । नही है। Colophon १३२८ शान्तिनाथ-मत्र Opening Closing । ॐ नमोऽर्हते. भगवते प्रक्षीणाशेषदोपकल्मषाय दिव्यतेजोमूर्तये, ॐ नमो शान्तिनाथाय शान्तिकराय सर्वपापप्रणाशाय - -। सपूर्ण जप सख्या अडतालीम लक्ष प्रमाण निष्ठा मना जप पश्चाद् सपूर्ण सिद्धि स्वयमेव पाव। नहीं है। Colophon! १३२६. सरस्वती-मंत्र Opening : ॐ अर्हन्मुखकमलनिवासिनी पापाहमक्षयकरी ... • मम विद्यासिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा । ॐ ह्री श्री वली महालक्ष्मी नम. धारकस्य भाण्डागार ऋद्धि वृद्धिअन्नधन्नपूर्ण पूरय पूरय प्रताप विजयी कुरु कुरु स्वाहा । Closing
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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