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श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah
Closing :
Colophon
१३०८ मंत्रयंत्र
Opening : ॐ क्रो को कौ क्रौ क्रौ सही अमुकी नामान्याः पतत्याः सर्वत्रजयसौभाग्य प्रियवल्लभत्व पतिपूजादिसौख्य
Closing :
Colophon
Opening
Closing
Colophone :
ॐ छो छोछो छ. अस्मिन्पात्रे अवतर अवतर स्वोहाः ।
विधि || पेडा ३ ॥ वार १०८ ॥ मत्रसो पठको आनाहीबोलेता ''. ।
नही है ।
Opening •
इति णमोकार मंत्र माहात्म्य समाप्तम् ।
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१३१० पद्मावतीदडक
ॐ नमो भगवते त्रिभुवन सकरी । मर्वाभरणभूषिने पद्मासने पद्मनयने || १ ||
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नीबू को चूहा के विलमे गाडिये उपर जूती तीन नाम लेके मारिये दिन तीन ताई जूती मारिये नाम लेता जाईये । इति मत्र यत्र समाप्तम् ।
१३०६. नमोकारमंत्र
कहा सुर तरु कहा चित्रावलि कामधेनु कहा रसकुप कहा पारस के पाए ते । कहा रसपायें औ रसायन कमाये कहा कौन काज होते तेरो लक्ष्मी कँ आऐ ते ।। कान्हबल धाईवेको कान्ह के कमाईवे को कान्हबल लगाइवे को काहु के उधार के । कहत विनोदीलाल जपतही तिहुकाल मेरे है अतुलबल मंत्र नवकार को ॥
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