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६६ Catalogue of Sanskrit, Prakrit. Apabhra n (7 & llindi Manuscripts
(Mantra, Karmokanda )
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जमे ही मोहनीय हिनि हिनि · · मा रक्ष पर्य' ।। ति पपावती देउफ मपूर्णम् ।
१३११. पद्मावतीकल्प
Opening .
Closing :
फमठोपनगंदलम विभयननाए प्रणम्य पाय जिनम् । पश्यंभीठफसदरमपचायनीमन् ॥१॥ अपराजिनेक का प्रती मोरप-मोहय न्तभिनी ... ... मम पश्य पुराव्या मही है।
Col phon:
१६१२. पावनीकल्प
Opening -
Clo.ing :
अन्य श्री पनायतो मनम्य गुगमुर्गसाघर-नागन्द्र-महाऋपि. पतिदगायत्री ४द श्री पद्मावती देवता कमलबीज वागभव शनिप्रणयकोना मम धर्मार्थ गाममोक्षायं जपे विनियोग । गभे हो मोहनीय हिन्नि हिनि रमणे मदं मदं प्रमर्द दुष्टे निसधिकारेह दह दह ने हेल ...
ह्रां ह्री ही है प्रमन्ने-प्रहमित वदने रक्ष मा देयि पद्म । इति श्री पचायनीपटल पप्रारतीक.प ममाप्तम् ।
१३१३. पद्मावतीकवच
Opening । Closing |
देखें १० १३१२ ।
६ कवच ज्ञात्वा पाया रतोति यो नरः। फापकोटि शतेनापि न भवेसिद्धिदायिनी ॥१८॥ इति पापती कयचम् ।
Colophon: