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________________ Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manscripts (Rasa-Chanda-Alankara-kavya) Closing | नेम चद्रिका जे पढे जाको पुन्य प्रकाश । भासकरन लघु वीन जिनवानी को दास ॥२१॥ इति नेमचद्रिका सपूरन । Colophon . Opening . Closing : Colophon: Opening : १२६२. नेमिनाथ वारहमासा देखें, ऋ० १२३२ । देखें, फ० १२३२ । ति श्री नेमनाथ राजनमती का बारहमासा प्रतीकुनर सपूर्णम् । देखे, रा. सू. III, पृ० १२६३ नेमिनाथ विवाह एक समं जो समुद्र विजं द्वारका मह नेम को व्याह रचो है। गावत मगलबार वधू कुल मे सपके जो उछाह मदो है । तेल चढावन को युवति अपने अपने कर थाल सच्यो है। नेग करे सब व्याहन को घर मडप चित्र विचित्र खिको है। नेम कुमार ने जोग लियो दिन छप्पन लो छदमस्त रहो है। केवलज्ञान भयो प्रभु को तव आठविभु तम दान मही है। मात से वर्ष विहार कियो उपदेशते धर्म महा मही है। निर्वान गये गुनि पांच से छप्पन लाल विनोदिक ने सग गही है। इति श्री नेमिनाथ का व्याहुला समाप्तम् । देखे रा सू० III, पृ० ८४ । Closing : Colophon । १२६४. नेमिनाथ विवाह Opening : Closing , Colophon । देखें, ऋ० १२६३ । देखे, ऋ० १२६३ । इति श्री ने"नाथ का व्याहुला सम्पूर्णम् ।
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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