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Catalogue of Sanskrit, Prakrit, Apabhramsa & Hindi Manuscripts
(Rasa-Chanda-Alankara etc)
Closing .
रूपचद सद्गुरुनिको, जनु बलिहारी जाइ । मापुन वै सिवपुर गए, भव्यनु पथ दिखाई ॥१०१।।
Colophon :
इति श्री पडित रूपचद विरचिते दोहरा परमारथी समाप्ता। शुभ भवतु।
१२४३. दोहावली
Closing . Co.ophon:
जिनके वचन विनोदते प्रगटे शिवपुर राह । वे जिनेद्र मगल करो नितप्रति नयो उछाह ॥१॥ जो सम्यक्त सहित .. सोना और सुगन्ध ।। नहीं है।
देखें. जै सि. भ. प. I क्र. ५०० ।
१२४४. दोहावली
Opening . देखे, ऋ० १२४३ । . . Closing . . देखे, ऋ० १२४३ । Colophon __ नही है। विशेष-- चार जगह दोहावली शीर्षक देकर दोहे लिखें गये है। चारो मे
चार-चार पत्र है जिनमे एक समान दोहे दिये गये है।
१२४५. दोहावली
Opening । Closing : Colophont
देखे. २० १२४३ । देखे, ऋ० १२४१ । ' नही है।