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७१ Catalogue ot Sanskrit, Prakrit, Apabhrama & Hindi Manuscripts
(Rasa-Chanda-Alankara)
Closing :
एक सात पचास में लव बर सुग्नकार । पोष सुकल तिथि धर्म , जै जै निसपतिवार ॥ ति श्री वैराग्य पचीनी सम्पूण ।
Colophon:
१२२५. योग
Opening ;
यह आत्मा ममार अवस्था मे जीवात्मा पहावं हे और जब यह ही अपनी अतरग वाह्य स्वरूप द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव रूप मकल नामग्री के पावै है। माल नादि दश ज्यान में ध्येय थापि मन लाए। प्रत्याहार जु धारणा यह ध्यान विधिसार ॥१॥ :ति श्री शुभचन्द्र आचार्य विरचिन योगम् ।
Closing :
Colophon:
१२२६. योगीरासा
ppening :
Closing ।
आदि पुरुष युग आदि · ... आदि जती आदि नायो आदि जगत गुरु जोग पयासिउ । जय जय जय जगनायो योगीरासा सीखो रे श्रावक दोस न कोई लीज । जिण दास त्रिविध करि जपई मिह सुमिरण कीजई । इति योगी रासा सम्पूर्णम् ।
Colopbon ,
स्० III, पृ० ४२ ।
१२२७. अक्षर बत्तीसी
Opening ! Closing |
कहे करम वस कीजै, कनक कामिनी दृष्टि न दीजै ।। यह अक्षर वत्तीसिका रची भगवती दाम । वाल ख्याल कोनी कछु लही आतम परगास