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________________ ४४ श्री जैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली Shri Devakumar Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah ११३६. लघु सामायिक Opening : Closing : Colophon: सिद्धवस्तुवचो भक्तया सिद्धान्प्रणमत. सदा। मिद्धकार्य शिव प्राप्तः सिद्धि दवतु नोव्ययम् ॥१॥ देखें, ऋ० ११३५ । इति लघु सामयिकम् । देखे, ज. सि० भ० न० 1, ० ३६६ । ११३७. लश्या स्वरूप Opening : Closing : आर्त रौद्रसदाक्रोधी मत्सरीधर्मवजितः । निर्दयोवरसयुक्त .. कृष्णलेश्याधिकोभर ॥१॥ किन्हाए जाई नरयं नीलाए थावरो होई कानुहुए तिग्यि गई । पीताए मानुसो होई, पो माए देव गइ सुक्काए पावई सासये ठाण इति लेश्यास्वरूपं मम्पूर्णम् । Colophone ११३८. लीलावती प्रकीर्णक Opening | Closing: प्रीनि भक्तजनस्य यो जनयते विघ्न निविध्नस्मृतस्तवदारक वदितपर्व नत्वामतगाननम् ।। पार्टी मदणितस्य वच्मिचतुरप्रीतिपदास्फुटा संक्षिप्ताक्षरकोमलाभलपदलालित्पलीलावती ( १॥ .... एक का बोलबाला रहा रहन दे और सोलह रहन दे असा अंक राख और मिटाय डाले। अब एकका भाग सोलह मै देई पाये सोलह दश अंक के सोलह दाडिय पाये। इति भास्कराचार्य विरचिताया गणित - . लीलावत्या प्रकीर्णकानि समाप्ता। Colophon:
SR No.010507
Book TitleJain Siddhant Bhavan Granthavali Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Jain
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1987
Total Pages519
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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