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१७ Cuiilogue of Srnkrit. Praliit, du m t at lindi Minuscripts
( Purina, Carita. Kathi)
Colophon:
रति रोटनीज करा ममाम् ।
१०५५. सलूनाकया
Opening :
प्रयमहि प्रथम जिनेन्द्र परण चित लाए, प्रथम मान धर्म मुनाहि मनाई। प्रथम महामुनि ले। नुध म भुरधरी, प्रयम नं प्रमागन प्रयम तोरी ॥ मुनि उपसर्ग निरनी ना ग नुन जो कोय । फरणा उपजे चित्त दिन मगनतीय ॥१८॥ निश्री विनोदी नात श्री गनूना काया ममाप्नम् ।
Closing :
Colophon :
१०५६. शील कथा
Opening :
Closing :
पागनार परमातमा यदी जिनपर राम। मोही धर्मवाग न मागे माही कथा मनना ॥१॥ सोन क्या पूरी भई पो सुन नित गोई। दुरा दरिद्र नाम सर्व तुरत महा सुख होई ॥५६॥ प्रति श्री सोन कथा मत्नसेनाचार्य कृत संपूर्णम् ।
Colophon:
१०५७. गोलद्रतकथा
Opening : यमही प्रणमौं श्री जिनदेव ० जिनराज अनूप ।। Closing ! जो दखी सोई लिखी सुद्ध असुद्ध न जान ।
पवित अरय विचारिक पढियो शुद्ध सुजान ।।५३।। Colophon • इति मील कथा मंपूर्णम् । विशेष-पद मी जो २०१८ पर उल्लिखित है इमी से सम्बन्धित है। अत'
तरका भी लेगक भारामरन ही झोना चाहिए। दोनो प्रयो को