________________
१६
श्रीजैन सिद्धान्त भवन ग्रन्थावली
Shri Devakumai Jain Oriental Library, Jain Siddhant Bhavan, Arrah.
Closing :
Colophone :
Opening
Closing :
Colophon ;
Opening
Closing
Colophon :
Opening
Closing
Colophon
Closing
१०५१. रोटतीज- कथा
जो यह व्रत हिच घरं, करें रोहिणी सोय । निह थिर मन जो धरै, तो जीव मुक्ति होय ॥७६॥ इति श्री रोहिणी व्रतकथा समाप्तम् । देखे, जै० सि० भ० प्र०
क्र० ११०
१०५२. रोटतीज - कथा
And
चौवीसो जिन को नमी श्री गुरु चरण प्रभाव || रोटतीज व्रत की कथा कही सहित चित चाव गणधर इद्र न करि सके तुम विनती भगवान । द्यानत प्रीति निहारिके कीजै आपसमान ।। इति सम्पूर्णम् ।
1
इह जबूद्वीप हैं तार्म भरत क्षेत्र है, तामै आर्य खड है, धन्यपुरी नाम नगरी वर्क्स है ।
और जो कोई भव्य स्त्री या पुरुष रोटतीज व्रत करें भलि गति पावै ।
इति रोटतीज व्रत कथा ।
१०५३. रोटतीज - कथा
देखे, क्र० १०५२ ।
खेदे
०१०५२ ।
इति रोटतीज कथा समाप्ता ।
१०५४. रोटतीज - कथा
देखे, क्र० १०५२ । देखें, क्र० १०५२ ।